मालवीय व्यंजन एवं वैवाहिक परम्पराएँ
लेखक : हंसा चौधरी
120 pages | Paperback
About the Book
त्यौहार हो या ख़ुशी का कोई मौका, मुँह मीठा करने करने की परंपरा भारतीय संस्कृति की अहम् पहचान रही है। पूर्व में ये परम्पराएँ हमारे जीवन में गहरी गूँथी हुई थी, किन्तु आज के मशीनी युग में व्यस्तता और आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी संस्कृति और परम्पराओं पर धीरे-धीरे विराम लगा रहे है। दादी-नानी के वयंजन ख़त्म हो रहे है। यह पुस्तक इन्हे सजीव रखने का ही एक प्रयास है।
इस पुस्तिका में पारंपरिक मालवी व्यंजन बनाने की विधियाँ सरल व् सुलभ तरीके से बताई गयी है। साथ ही वैवाकिक परम्पराओं का भी संकलन किया गया है। अपनी मालवीय संस्कृति, अपने पारम्परिक भोजन और वैवाहिक परम्पराओं से नयी पीढ़ी परिचित होगी, यही इस पुस्तक की उपयोगिता है।
मालवी व्यंजन में मसलों का भरपूर उपयोग होता है। हम समझते है कि मसलों का मुख्य काम खाने का स्वाद बढ़ाना होता है। किन्तु मसाले पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। हल्दी शरीर के रक्षातंत्र को मजबूत करने के आलावा पेट साफ़ रखने का काम करती है। गरम मसाले पचने के लिए जरुरी गैस्ट्रिक जूस को रिलीज करने का काम करते हैं। मिर्च शरीर में ऐंटी ऑक्सीडेंट का स्टार बढाती है और संक्रमण से बचने में मदद मिलती है। अजवाइन व् हींग के प्रयोग से वायु, कफ, उदरपीड़ा में लाभ पहुँचता है। घी या तेल की थोड़ी मात्रा से हमारे शरीर के जाइंट्स को लुब्रिकेशन मिलता है। अचार इतने असरकारक होते है कि इनकी थोड़ी सी मात्रा भी पाचन क्रिया में बहुत मदद करती है। इनसे बाइल जूस बनता है जो तरीके से पाचन में मददगार होता है। किन्तु इन सबका सेवन समझदारी से किया जाये अति सर्वत्र विर्जयते।
बेक टू बेसिक्स : वर्षो के अनुभव और विज्ञान की कसौटी पर कसने के बाद वैज्ञानिक कमोबेश फिर उन्ही बातों पर लौट रहे है, जो हमारे पुरखे वर्षो पहले कहा करते थे। जैसे वे हमेशा स्वस्थ रहनेके लिए घी, दूध, दही, मोटा अनाज, कुदरती तेल आदि का सेवन करने को कहते थे। वैसे ही हेल्थ एक्सपर्ट भी कहने लगे है। भोजन पकने की प्रक्रिया भी भावनात्मक विज्ञान पर आधारित है। भोजन तैयार करने और परोसने की प्रक्रिया में पकने और परोसने वाले का पयार भी समाहित होता हिअ। इससे खाने और खिलने वाले दोनों को तृप्ति व आनंद मिलता है।